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नितिन गडकरी अपनी ही पार्टी भाजपा से चल रहे नाराज ?
इन दिनों राजनीतिक गलियारों में गजब की हलचल देखने को मिल रही है कहीं सत्ता की उठक पटक तो कहीं वर्चस्व की जंग तो कही आरोप प्रत्यारोप का सिल सिला लेकिन राजनीतिक गलियारों में तल्खी देखने को तब मिली जब भाजपा के कद्दावर सड़क परिवहन केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने राजनीति के नैतिक मूल्यों की ओर इशारा करते हुए राजनीति के आज के परिवेश पर तीखा प्रहार करते हुए कहा है की इस समय राजनैतिक पार्टियां सेवा समर्पण की भावना से उलट सत्ता की भूंख से ग्राषित है । गडकरी हमेशा से ही अपनी कुशल कार्य शैली और अनोखे अंदाज से लोगों के दिलों पर जगह बनाए हुए हैं लेकिन भारतीय जनता पार्टी की नवनिर्मित संसदीय बोर्ड की कमेटी से उन्हे बाहर रखे जाने के बाद से हाल ही में उनके द्वारा दिए गए बयान ” पार्टियों के समय से फैसला नही होते है” उनके इस बयान को उनकी नाराजगी के रूप में ले कर अलग रंग दिया जा रहा है जब की इसके अतिरिक्त कई ऐसे बयान उनके द्वारा हमेशा से आते रहें है जो की राजनीति की नैतिकता पर आधारित थे चाहे फिर पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों पे हो या फिर लोकतंत्र के लिए मजबूत विपक्ष जरूरी है या फिर नेताओं की सत्ता और पद की लालच पे, आप को सायद ही कोई नेता खुश मिले , जैसे बयान हो इसके अतिरिक्त राजनीति और क्रिकेट में कुछ भी हो सकता है लेकिन इन सब बयानों को कभी पार्टी विरोधी बयान नहीं कहा जाता था लेकिन संसदीय बोर्ड से बाहर किए जाने के बाद से उनके द्वारा दिए गए बयान की वजह से राजनीतिक गलियारे में काफी भ्रामक जानकारियां और तरह तरह की बातें की जा रहीं हैं लेकिन उनके इन बयानों के मायने सिर्फ बगावत या फिर पार्टी का विरोध नहीं बल्कि लोकतंत्र में राजनीति की नैतिकता पर बात करते हुए उन्होने अपनी बात रखी थी खैर अगर आप को लगता है की संसदीय बोर्ड से हटाने की वजह से नाराज हो कर गडकरी ने यह बयान दिया और वह पार्टी छोड़ सकते है इस प्रश्न का उत्तर भविष्य पर ही मिल सकता है
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