क्यों मनाया जाता हैं भाई दूज, क्या हैं इसकी पौराणिक मान्यता और पूजन- विधि

0
116

क्यों मनाया जाता हैं भाई दूज, क्या हैं इसकी पौराणिक मान्यता और पूजन- विधि

हिंदू पंचाग के अनुसार भाई दूज का पर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. भाई दूज को यम द्वितीया या भ्रातृ द्वितीया भी कहा जाता है. भाई दूज दीपावली के दो दिन बाद और गोवर्धन पूजा के ठीक अगले दिन मनाया जाता है. इस पर्व के साथ ही पांच दिन के दीपोत्सव का समापन हो जाता है.भाई दूज की तारीख को लेकर कुछ लोग 26 अक्टूबर को तो कुछ लोग 27 अक्टूबर को भाई दूज मनाने की बात कह रहे हैं आइये आगे बतायेंगे हम आपको इसकी सही तिथि फिलहाल जानते है क्या हैं दूज पर्व की पौराणिक मान्यता आखिर क्यों मनाया जाता हैं भाई दूज का पर्व.

क्यों मनाया जाता हैं भाई दूज

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव और उनकी पत्नी छाया की दो संताने थीं, यमराज और यमुना. दोनों में बहुत प्रेम था. बहन यमुना हमेशा चाहती थीं कि यमराज उनके घर भोजन करने आया करें. लेकिन यमराज उनकी विनती को टाल देते थे. एक बार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि पर दोपहर में यमराज उनके घर पहुंचे. यमुना अपने घर के दरवाजे पर भाई को देखकर बहुत खुश हुईं. इसके बाद यमुना ने मन से भाई यमराज को भोजन करवाया. बहन का स्नेह देखकर यमदेव ने उनसे वरदान मांगने को कहा. इसपर उन्होंने यमराज से वचन मांगा कि वो हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर भोजन करने आएं. साथ ही मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई का आदर-सत्कार के साथ टीका करें, उनमें यमराज का भय न हो. तब यमराज ने बहन को यह वरदान देते हुआ कहा कि आगे से ऐसा ही होगा. तब से यही परंपरा चली आ रही है. इसलिए भैयादूज वाले दिन यमराज और यमुना का पूजन किया जाता है.

भाई दूज मनाने का शुभ मुहूर्त क्या हैं.

भाई दूज के साथ दिवाली के पर्व का समापन हो जाता है. इस बार भाई दूज 27 अक्‍टूबर को मनाया जाएगा. 27 अक्‍टूबर को भाई दूज के साथ दिवाली पर्व का समापन होगा. द्वितीया तिथि 26 अक्‍टूबर को दोपहर 02:43 मिनट से शुरू होकर 27 अक्टूबर को दोपहर 12:45 मिनट तक रहेगी. इस दिन आप राहुकाल को छोड़कर कभी भी भाई को टीका कर सकती हैं. राहुकाल का समय दोपहर 01:30 से दोपहर 3:00 बजे तक होगा.

भाई दूज पर तिलक का क्या महत्व हैं.

प्राचीन काल से यह परंपरा चली आ रही है कि भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि के लिए तिलक लगाती हैं. कहते हैं कि कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन जो बहन अपने भाई के माथे पर कुमकुम का तिलक लगाती हैं, उनके भाई को सभी सुखों की प्राप्ति होती है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भाई दूज के दिन जो भाई अपनी बहन के घर जाकर तिलक करवाता है और भोजन करता है, उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती.

भाई दूज का पूजन सामग्री

कुमकुम, पान, सुपारी, फूल, कलावा, मिठाई, सूखा नारियल और अक्षत आदि. तिलक करते वक्त इन चीजों को पूजा की थाली में रखना ना भूलें.

भाई दूज पूजन- विधि

व्रत रखने वाली बहनें पहले सूर्य को अर्घ्य देकर अपना व्रत शुरू करें. इसके बाद आटे का चौक तैयार कर लें. शुभ मुहूर्त आने पर भाई को चौक पर बिठाएं और उसके हाथों की पूजा करें. सबसे पहले भाई की हथेली में सिंदूर और चावल का लेप लगाएं फिर उममें पान, सुपारी और फूल इत्यादि रखें. उसके बाद हाथ पर कलावा बांधकर जल डालते हुए भाई की लंबी उम्र के लिए मंत्रजाप करें और भाई की आरती उतारे. इसके बाद भाई का मुंह मीठा कराएं और खुद भी करें.